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खामोश मासूम भोला सा
बच्चा अब बड़ा हो गया है,
झुंझुलाहट उलझन नासमझी
अब नहीं है उसमें,
पहले पूछता था
क्या करूँ कहा जाऊँ,
सुनता था
जो कहा जाता था,
अगर उसपे गुस्सा हो
समझ कर पास आता था,
अपने प्यार की परछाईयों
में खुश रहता था,
अपनी सीमित की दुनिया
में खुश रहता था,
और फिर पता चल एक दिन
वो बच्चा आज्ञाकारी
बड़ा हो गया |
– दलवीर सिंह ‘सहर’